ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Monday, October 8, 2012

अपने ही खून से चले इनका इंजन धकाधक


प्रकाश झा तुस्सी ग्रेट हो अभी उनकी आगामी फिल्म चक्रव्यूह का ट्रेलर देखा, देखने से लगता है उन्होंने जनवादी नाट्य को सजीवता से परदे पर रखा है. सम्यक और जनवादी होने के लिए क्रन्तिकारी होना जरूरी नहीं, जरूरत बस उस दृष्टी, उस विश्वास के साथ लगे रहने की है जो सम्यक ही नहीं शाश्वत हो.

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