ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Monday, October 29, 2012

महंगाई और गैस की सौदेबाजी

जब देशी पूंजी से रिलायंस ये कमाल कर सकता है तब विदेशी पूंजी से  बीपी या कोको कोला क्या क्या कर सकते है जरा सोचिये..... जार्ज फर्नांडिस जैसे समाजवादी आज कहाँ है?

जो बात हम कहते थे वो आज हो गयी ना सच आज रांची एक्सप्रेस ने स्पष्ट रूप से सवाल पूछ ही लिया है "क्या मोइली अब रिलाइंस के कहने पर काम करेंगे? क्या अब तेल और एलपीजी के दाम बढ़ने वाले हैं?
0केजरीवाल ने आगे कहा कि जयपाल रेड्डी एक ईमानदार मंत्री कहे जाते हैं, इसलिए बतौर सजा उनसे पेट्रोलियम मंत्रालय छीन लिया गया है." एन डी टी वी ने भी आज ये सवाल मंत्रिपरिषद के फेरबदल के मद्देनज़र कर ही दिया है पढ़िए महीनो पूर्व लिखा था .. .......



तकनिकी जानकारों का मानना है की रिलायंस ने जिन दावों के साथ कृष्ण गोदावरी बेसिन के गैस ब्लाको को सरकार से पाया था वह वो उस अपेक्षा पर खरी नहीं उतरी है और ना ही अरबो के सौदों के साथ इस बारात में शामिल बाराती ब्रिटिश पेट्रोलियम की पार्टनरशिप से देश को फायदा मिला है.रिलायंस के प्रमुख तेल फील्ड KG-D6 में कच्चा तेल उत्पादन 37.9 % वर्ष दर वर्ष घटता जा रहा है जोकि मौजूदा समय में 4.94 मिलियन बैरल तेल रह गयी है वही नैचुरल गैस का उत्पादन 23.5 वर्ष दर वर्ष घट के 551.31 बिलियन क्यूबिक फीट हो गया है . रिलायंस इस घटोतरी के बारे में आध्कारिक रूप से कह रही है की “Production from the KG-D6 block has been adversely impacted due to unforeseen reservoir complexities”.

अब भारतीय मीडिया और पत्राकरिता जगत ने भी कभी इन ना देखे जाने वाले कारणों का पता नहीं लगाया, क्यूंकि वे भी इसके धन से मैनेज हो जातें है .कुछ लोगो का मानना है की ब्रिटिश पेट्रोलयूम को 7.2बिलियन डालर में पिछले साल कंपनी ने ब्रिटिश पेट्रोलियम को अपने 21 तेल और गैस के कुएओं में 30 % की हिस्सेदारी बेचीं थी तब अरबो की इस डील पर सबने उंगली उठायी थी वरुण गांधी भी एक बार बोलकर चुप होगये. इसमें मजेदार बात ये थी की इन गैस फील्डो में रिलायंस ने महज 5.6 बिलियन डालर का निवेश किया और 7.2 बिलियन डालर में 30 प्रतिशत हिसा बेच कर अपने रकम से ज्यादा निकाल लिया वो भी सिर्फ 30 % हिस्सा बेचकर और आगे भी ब्रिटिश पेट्रोलयूम ही उसकी उत्पादन क्षमताओं के लिए मदद करेगी. अब सब मदद ब्रिटिश पेट्रोलयूम करेगी तब रिलायंस क्या दलाली करेगी?? संसद में अपने मनमाफिक कानून बनेवायेगी, मंत्री तो खैर है ही उनकी पसंद का, वही भारत को निर्यात कर अच्छा मुनाफा कर रही ब्रिटिश पेट्रोलयूम भारत में निवेश में देरी करेगी क्यूंकि अगर घर में तेल मिलेगा तो उसके निर्यात बंद हो जायेंगे यानी जो सब्जी अपने खेत में उग सकती है वो विदेशो से आ रही है. एक बात और भारत में एनर्जी -उर्जा के क्षेत्र में गैस की हिसीदारी 10 प्रतिशत है जबकी विदेशो में उसकी औसत 24 प्रतिशत है कग बैसन से गई मिलता तो महंगे तेल की जगह सस्ते गैस पर काम करते अगर सस्ती गैस की बिजली सस्ती होगी तो महंगाई भी कम होगी इस लिए ऊर्जा क्षेत्र की इस लापरवाही/बेईमानी का इलाज होना चाहिए. हमारे यहाँ इलेक्शन चंदे पर साफ़ सुथरी निति नहीं पर अमरीका में है जहा ब्रिटिश पेट्रोलयूम सबसे बड़ा राजनैतिक चंदा देने वाला ग्रुप है सोचिये ये कई देशो में फ़ैली पेट्रोलियम कंपनिया कैसे संसदों में अपने लिए कानून बनवा लेती है और मीडिया में अपनी छवि. पत्रकारों को भी रिलायंस के आगे न झुकते हुए इसके कर्मो को उजागर करना ही होगा ?

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