मैक्लायड की अनैतिक संतान से लेकर सूचना क्रान्ति की पटरानी तक सब रूप में अपने को देखा है,समाजवादी अरुचि से मंदिर बनवा कर मेरे पूजन तक सब झेला है .
विदेश से आई हूँ पर आपने समृद्ध नहीं किया क्या मुझे ?
सरकार की भाषा हूँ तो क्या इसलिए अभिजात्य हूँ ?
सवा सौ वर्षो से भारतवंशियो की सेवा कर रही अंग्रेजी के ये प्रश्न आसान नहीं इन्ही प्रश्नों पर उग्रनाथ जी का तथ्यपरक उ
त्तर
" मैं इस प्रश्न में उलझा हूँ | क्या भाषा भी अभिजात बनाने में सहायक होती
है | अंग्रेजी की आलोचना तो यही कहकर की जाती है | अपनी देसी भाषा हिंदी
या अन्य कोई भी , के सापेक्ष यदि अंग्रेजी का प्रभाव देखें , तब तो यही
कहना पड़ेगा | लेकिन अनुभव तो कुछ और भी इशारे करते हैं | भोजपुरी , अवधी ,
सामान्य भाषा बोलकर भी ज़मींदार बड़े आराम से सामंत बना होता था और बराबर
शोषण और अत्याचार करता था , भले उसे अंग्रेजी बिलकुल न आती हो , या न बोलता
हो | भाषा का उसके जलवे से कोई सम्बन्ध नहीं होता था | वह गालियाँ
अंग्रेजी में तो नहीं देता रहा होगा ?"
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