ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Sunday, October 21, 2012

सोयाबीन फसल की बर्बादी के हर्जाने में मिली जेल, सुनीलम हम आपके साथ है





खबरें बहुत सी है है पर आपकी खोज खबर लेने वाला शख्स ही जब मुश्किल में हो तब वो खबर सबसे एहम बन जाती है, ऐसा ही एक मामला  डॉ सुनीलम का है. तिजारती समाजवादी बड़े देखे सुने होंगे पर ज़मीनी मिलना एक दुस्वपन है. कल  मुलताई न्यायालय के न्यायाधीश एससी उपाध्याय ने मुलताई गोलीकांड में हत्या के दोषी पाए जाने पर पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम सहित तीन लोगों को आजीवन कारावास एवं हत्या के प्रयास में सात-सात वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई. मुलताई हत्याकांड पर अपने इस निर्णय पर पहुंची अदालत ने महज तीन मामलो में ही फैसला सुनाया है जबकि सरकारी तंत्र ने पूरे 66 मामले ठोंके थे.

इस फैसले के तुरंत बाद डॉ सुनीलम ने कहा "दिग्विजय सिंह ने मेरी हत्या के इरादे से ही 12 जनवरी 1998 को गोली चलवाई थी और मेरे खिलाफ 66 मुकदमे दर्ज कराने का मकसद सालों साल अदालत के चक्कर कटवाना तथा सजा दिलवाना ही था। आज मैं कह सकता हूं कि वे तात्कालिक तौर पर ही सही अपना षड्यंत्र पूरा करने में सफल हुए हैं"

मामला दिग्विजय सिंह की सरकार के समय का है जब सन 1997 में ओले पड़ने से सोयाबीन की फसल ख़राब होने की वजह से किसान दुखी थे, कम उपजाऊ और एक फसल वाली मध्य प्रदेश   की पठारी भूमि में अगर साल में एकमात्र होने वाली फसल खराब हो जाए  हो जाए तो साल भर किसान क्या कर सकता है तिस पर सत्ता में भी कोई सुनवाई नहीं हो तो किसान के पास आत्महत्या या हथियार के अलावा कोई रास्ता नहीं बचता, खैर उस समय सुनीलम आगे आये और मुआवजे की मांग को लेकर किसान  आन्दोलन को नेतृत्व दिया. डॉ सुनीलम राजनीति में आये   हुए उन चंद सफल 'दिस्टिंगग्युईशड' लोगो में से है जो जन आन्दोलन का नेतृत्व करते है इस लिए दिल्ली में बैठे आका उनके निर्वाचित ना होने का,  दिस्टिंगग्युईशड या विशिष्ट होने का आरोप नहीं लगा सकते, पर कल के फैसले पर सब छुपी लगाए बैठे है माननीय न्यायालया के फैसले का सम्मान है पर जरा सोचिये एक आन्दोलन को जो जय जवान जय  किसान के लिए चलाया जाता  है उस पर 'राजा साहेब' की पुलिस फायरिंग कर 18 किसान शिकार  हो जाते है 150 घायल हो जाते है उसी आन्दोलन का नेतृत्व कर रहे मुलताई के पूर्व विधायक डॉ. सुनीलम, प्रहलाद अग्रवाल एवं  शेशराव भगत को धारा 302 के तहत आजीवन कारावास एवं पांच हजार रुपये का जुर्माना की सजा को पा जाते है. वैसे बहुत से कार्यकर्ता मानते है की सरकार ने इन सभी लोगो पर झूठे मुक़दमे लगाया है क्यूंकि अडानी समूह (फार्च्यून तेल वाले ) नाम का बिजनेस हॉउस इनके विरोध से परेशान था यानी बात फिर जल जमीन जंगल की लूट पर आ टिकी है जो लाइलाज नासूर बन चुका है


इत्तेफाक है या दुर्भाग्य की बाबरी आन्दोलन में हज़ारो लोगो को इकठ्ठा कर जमकर बलवा करने वाले बच  निकलते है कुछ तो इसी राज्य के मुख्यमंत्री भी बन जाते है, पर एक साधारण किसान  आन्दोलन पर करीब 70 किसान कानूनी शिकंजे में फंस जाते है .. अब मुआवाजे की कौन कहे घर का सामान-जमीन बेचकर ये लोग सरकारी केस लड़ेंगे. आप अब भी सोचते है की सब ठीक ठाक है .....

इससे पहले वे पत्र लिखकर शिवराज चौहान से भी ऐसे केसों में किसानो पर हो रहे जुल्म पर अपनी बात रख चुके है इसी कड़ी में उनका ये पत्र को देखा जा सकता है.


प्रिय भाई शिवराज सिंह चौहान जी,
नमस्कार
 आपको यह पत्र मुलताई किसान आंदोलन के संबंध में लिख रहा हूं। आप जानते ही है कि 12 जनवरी 1998 को पडय़ंत्रकपूर्वक दिग्विजयसिंह की कांग्रेस सरकारी द्वारा मेरी हत्या तथा मुलताई किसान आंदोलन को कुचलने के उद्ेश्य से पुलिस गोलीचालन कराया गया था । सरकार द्वारा 250 किसानों के खिलाफ 66 मुकदमें दर्ज किये गये थे जिसमें से 17 मुकदमें मुलताई न्यायालय में लंबित है। जिनमें 3 अतिरिक्त सत्र न्यायालय में अंतिम चरण में है। कृपया स्मरण करें कि मुलताई गोली चालन की तुलना भारतीय जनता पार्टी द्वारा जलियावालाबाग हत्याकांड से की गई थी तथा भा.जा.पासरकार का मुख्यमंत्री बनने के बाद सुश्री उभा भारती जी ने सभी प्रकरण वापस लेने की घोषणा सदन में की थी। सरकार की घोषणा के बाद अब तक 1 लाख से अधिक प्रकरण वापस लिये जा चुके है, तथा लोक अदालतो के माध्यम से लाखो प्रकरणों का निराकरण किया जा चुका है, लेकिन मुलताई किसान आंदोलन से जुडे 17 में से एक भी प्रकरण वापस नही लिया गया है। गत 14 वर्षो में अनेक बार पेशी चूक जाने के चलते सैकडों किसान कई बार गिरपतार किये जा चुके है तथा 20 किसानो की अब तक मौत भी हो चुकी है।

आपसे अनुरोध है कि किसानो पर लादे गये फर्जी मुकदमों को वापस लेने हेतु निर्देश जारी करे ताकि न्यायालय के समक्ष सी.आर.पी.सी. की धारा 21 के तहत् प्रकरण वापसी का आवेदन लगाया जा सके। आप यह भी जानते हैं कि किसान संघर्ष समिति द्वारा शहीद किसानों की स्मृति में मुलताई में शहीद किसान स्तंभ के निर्माण की मांग की जा रही है, मैंने विधायक निधि से 20 लाख रुपए की राशि भी आवंटित की थी, लेकिन सामान्य प्रशासन विभाग से नुमति नही मलने के कारण शहीद किसान स्तंभ का निर्माण नही किया जा सका। सबसे आश्चर्यजनक बात यह है कि भारतीय जनता पार्टी को नागपुर नाके पर कार्यालय नर्माण के लिये उर्दू स्कुल (आर.टीओ. बेरियर) की करोड़ों रुपए की भूमि आवंटित कर दी गई लेकिन 24 शहीद किसानों के लिये आपकी सरकार ने एक इंच भूमि भी आवंटित करना उचित नही समझा यही नही मुलताई बस स्टैण्ड पर जो स्तंभ कांग्रेस शासन काल में रातो रात बनाया गया था। उस भूमि को भी आज तक शहीद स्तंभ के नाम पर आवंटित नही किया गया है। किसान सघर्ष समिति की मांग थी की मुलताई तहसील को शहीद किसान स्मारक के तौर पर विकसित किया जाये, लेकिन आपकी सरकार ने शहीद किसानो की स्मृति में भी कोई कदम नही उठाया है। किसान सघर्ष समिति 12 जनवरी को शहीद किसान दिवस पर पूरे प्रदेश में मनाने की मांग करती रही है लेकिन इस मांग पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया है। मुलताई पुलिस गोली चालन के बाद तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने तथा बाद में आपकी सरकार ने शहीद किसानों के परिवार के एक सदस्य को स्थाई शासकीय नौकरी देने की घोषणा की थी लेकिन इस घोषणा पर भी अमल नहीं किया गया, आपसे अनुरोध है कि सभी शहीद किसानो के परिवार के एक-एक सदस्य को स्थाई नौकरी उपलब्ध कराने का निर्देश जारी करें।

भारतीय जनता पार्टी ने मुलताई में पुलिस गोली चालन के बाद एसपी-कलेक्टर पर हत्या के मुकदमें दर्ज करने की मांग की थी, लेकिन भा.जा.पा. की सरकार बनने के बाद एसपी कलेक्टर पर मुकदमा दर्ज करने की बजाय उन्हें पदोन्नति दी गई है। जबकि आप भलि भॉंति जानते है कि देश में अनेक गोली चालनो के बाद संबंधित अधिकारियो पर हत्या के मामले दर्ज किये गये है। आपसे अनुरोध है कि गोली चालन करने एवं करवाने वाले अधिकारियो पर मुकदमा दर्ज करवाने का निर्देश जारी करें ।
मुलताई किसान आंदोलन मुआवजे के सवाल को लेकर हुआ था। जिसमें फसल बीमा भी अहम मुद्दा था, भा.जा.पा. अपने घोषणा पत्रो में तथा भा.जा.पा. नेता अपने भाषणों में बराबर किसानों को दोनो मुद्दो को लेकर आश्वासन देते रहे हैं लेकिन अब तक कोई ठोस कार्यवाही सरकार द्वारा नही की गई है। मुलताई के किसानो द्वारा फसल बीमा की प्रिमियम राशि लगातार जमा कराई जाती रही है लेकिन फसल नष्ट होने के बावजूद उन्हे कम से कम दुगना मुआवजा तथा नियमानुसार फसल बीमा की मुआवजा राशि नही दी गई है। आपसे अनुरोध है कि इस संबंध में भी आप संबंधित अधिकारियों को आवश्यक निर्देश जारी करने का कष्ट करे ं  उक्त मुद्दो को लेकर किसान सघर्ष समिति का प्रतिनिधि मंडल आपसे अविलंब मुलाकात करना चाहता है आपसे अनुरोध है कि 12 जनवरी 2012 के पहले प्रतिनिधि मंडल को मुलाकात का समय दें ।

भवदीय
(डॉं. सुनीलम)पूर्व विधायक, संथापकअध्यक्ष, किसान संघर्प समिति

डॉ सुनीलम ने इन सब बातो के मद्देनज़र ही कल कहा "सरकार बदलने से किसानों के प्रति सरकार का दृष्टिकोण नहीं बदलता".

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