ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Monday, October 8, 2012

पैसे पेड़ पर नहीं उगते









हमारे यहाँ की घरेलू कामवाली अक्सर पैसो को बढाने की माँगा करती है पिछले साल से दो बार ये मांग मान ली गई इस बार जब ऐसी मांग आई तब उसे ये कहकर समझा लिया गया की पैसे पेड़ पर नहीं उगते. ये देश मुश्किल के वक़्त पर जेवर देने वालो में से है, बकौल प्रधानमंत्री देश 1991 के मुश्किल दौर से गुजर रहा है सो बिना किसी आन्दोलन के ऐसे मुश्किल दौर में कैसे केंद्र सरकार ने केंद्रीय कर्मचारियों को तोहफा देते हुए महंगाई भत्ता 7 फीसदी बढ़ा दिया है?

इसी साल मार्च महीने में महंगाई भत्ते में बढ़ोतरी की गई थी, अब फिर बढ़ोतरी की गई है जिससे केन्द्रीय कर्मचारियों का महंगाई भत्ता 65 फीसदी से बढ़कर 72 फीसदी हो गया है. किसानो और रसोई गैस की सब्सिडी हटाने वाली सरकार इस तरह 50 लाख केंद्रीय कर्मचारियों और करीब 30 लाख पेंशनर्स के साथ साथ उनके परिवारों को खुश क्यों कर रही है

याद कीजिये के कभी आपने फूल भिजवाये हो तो बदले में आपको कांटे मिले हो ? आज शाम को 'नमक हलाल' फिल्म देख रही थी, शशि कपूर परवीन बाबी को फूल भेजते है तो परवीन बाबी शशि कपूर को कांटे . सोचिये ऐसा आपके साथ भी हुआ है, आप उन्हें दो बार चुनकर उनके गले में फूल माला डालते है पर वे है की चुन चुन कर कांटे बो रहे है.

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