ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Monday, October 8, 2012

ऍफ़० डी०आई० और राष्ट्रिय राजनीति का चरित्र

3 इडियट्स में आमिर खान : ये चटनी बड़ी निराली है, ये लोगो के चरित्र पता करने के काम आती है

2 यूपीए में मनमोहन सिंह : ये ऍफ़डीआई बड़ी निराली है, ये पार्टियों के चरित्र पता करने के काम आती है

जनसत्ता के वरिष्ठ पत्रकार शैलेन्द्र श्रीवास्तव जी लिखतें है "आलोचना और विरोध की परवाह किए बगैर इस सरकार ने पेंशन में 26 फीसद एफडीआई को मंजूरी दे दी और बीमा क्षेत्र में एफडीआई की सीमा
 को 26 फीसद से बढ़ाकर 49 फीसद कर दिया। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में यह फैसला इससे पहले सरकार ने 14 सितंबर को मल्टी ब्रांड रिटेल में 51 प्रतिशत एफडीआई की मंजूरी दी थी। साथी ही नागरिक उड्डयन क्षेत्र में एफडीआई नियमों में और ढील देने का फैसला किया था। क्या गजब है कि कथित आर्थिक सुधारों पर दूसरे दौर के फैसले से पहले ही मुख्य विपक्षी पार्टी भाजपा,नामदल, तृणमूल कांग्रेस, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, बीजू जनता दल आदि ने बीमा और पेंशन में एफडीआई को मंजूरी का विरोध करने का ऐलान किया था। पर सरकार को किसी की परवाह नहीं। जाहिर है इस फैसले का विरोध तय है। विपक्षी दल इस फैसले की निंदा कर रहे हैं।"

सवाल ये है की क्या हर बार की तरह वे इस बार भी बस बाहर सरकार की निंदा करेंगे और संसद के अंदर सरकार का समर्थन ?

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