ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Monday, October 8, 2012

बड़े हाथी के पीछे अन्य जाए छुप



इंडियन एक्सप्रेस के सम्पादक द्वय में से ज्येष्ठ अरूण शौरी, शेखर गुप्ता से बतियाते हुए कह रहे थे की घोटालो की मौजूदा बड़ी बड़ी रकम जैसे 1.76 लाख करोड़ का 2 जी , 70 हज़ार करोड़ का कामेनवेल्थ घोटाला इत्यादि ने हमें छोटे छोटे घोटालो के प्रति हमें संवेदनहीन बना दिया है. इतनी बड़ी रकम के घोटाले शायद ना होते हो जैसा की कामेंवेअल्थ का कथित घोटाला लन्दन ओलंपिक के बजट से ज्यादा था जो की अविश्वश्नीय रकम थी, सो बड़े बड़े घोटालो में शामिल रकम को बढ़ा चढ़ा कर छापना जनता को आंदोलित नहीं कर रहा बल्कि छोटे व् मझोले भ्रष्टाचार जैसे 200 -300 करोड़ के घोटाले जिनमे रकम सही है उन्हें अपनी परछाई में छुपा रहा है.

बड़े घोटालो से लोग आंदोलित नहीं हो रहे, सिस्टम उसे सही मान नहीं रहा, अदालत अपना समय लेंगी ऐसे माहौल में छोटे घोटाले नज़रअंदाज़ हो रहे है यानी कुल मिलाकर बढ़ा चढ़ा के खबर दिखाना या खर बुनना भ्रष्टाचार व् घोटालो के लिए काउन्टर प्रोडक्टिव हो रहा है

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