ब्लाग्मंत्र : जिस तरह आंसू के लिए मिर्च जरूरी नहीं, वैसे ही बुद्धिमता सिद्ध करने के लिए ज्यादा से ज्यादा कमेंट्स व् उच्च्श्रलंखता जरूरी नहीं

Monday, October 8, 2012

जेंटलमेंन का गेम नहीं है राजनीति

"ये यूपीए सरकार है बॉस, न तमीज से सरकार चलाया जाता है, और न तमीज से बोला जाता है".

उनकी बात में दम है जिस तरह से पिछले दिनों प्रवक्ता मनीष तिवारी, महासचिव दिग्विजय सिंह जी, कबिनेट मंत्री बेनी प्रसाद वर्मा जी और आज श्रीप्रकाश जायसवाल जी ... लगता है घोटालो ने सवाल इतने खड़े कर दिए है की जवाब देते नहीं बन रहा सो बार बार जुबान फिसल जाती है. शाम को जब सैर से लौटी तब शायद न्यूज एक्सप्
रेस पर, बा (कस्तूरबा गांधी) व् महात्मा गांधी के 62 साला रिश्तो पर एक संस्मरण आ रहा था ... रिश्तो की गहराई से आत्मविभोर हो गयी, घर में ही कहा 62 साला रिश्ता आजकल 62 हफ्ते भी भारी हो जाते है, फिर मंत्रीजी बात सुनी मन खिन्न हो गया और कलम चल पड़ी ... लिख रही हूँ अगर पहुँच सके तो गांधीवाद की राजनीति करने वाले कम से कम आनुष्ठानिक रूप से ही सही आज तो संपूर्ण गांधी वांग्मय का पाठ कर लेते.

ताज़ा विवाद की शुरवात मंदिर  की तुलना टायलेट से कर जयराम ने की है
 

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